जनपद बदायूं मे सट्टे के मकड़जाल में फस कर सेकड़ो परिवार तबाह, खुलेआम चल रहा मटकी सट्टा ?

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बदायूं – जिले से लेकर कस्बो तक ओर कसवो से लेकर गाँव के गली मोहल्ले तक तक सट्टे का कारोबार खाकी ओर खादी की मिलीभगत से बेख़ौफ़ चल रहा है। पुलिस को पूरी जानकारी होने के बाबजूद भी वह आंखों पर पट्टी बांधे हुई है? पुलिस की संलिप्तता के चलते इस धंदे के मकड़जाल में फसकर सेकड़ो परिवार तबाह हो चुके है। वही बात अगर साहूकारों की जाए तो उनकी चांदी कट रही है। जिले के लोगो को उम्मीद थी नए कप्तान के आने के बाद सट्टे पर अंकुश लगेगा और ऐसे थाना प्रभारियों पर कार्यवाही होगी जिनके थाना क्षेत्रो में सट्टे का कारोबार निरंतर चल रहा है।

अब जिले में आये तेज़तर्रार एसएसपी ब्रजेश कुमार का पूरा खोफ है लेकिन सट्टे के कारोबार में अभी भी कोई रुकावट देखने को नही मिल रही है। यहाँ आपको ये भी बता दे तेज़तर्रार एसएसपी थानेदारों के लगातार पेच कसते है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका असर अभी देखने को नही मिल पा रहा है। जहां पुरानी सरकारों को बदले हुए लगभग एक दशक का समय होने जा रहा है और इतने समय मे भी जिले में तमाम अधिकारी आये और चले गए, लेकिन सट्टे का कारोबार करने वालो पर आज तक कोई फर्क नही पड़ा। आम जनता को उम्मीद थी कि बदलाब होने पर स्तिथि बदलेगी ! लेकिन स्थिति ओर बिगड़ गयी। पुलिस सट्टे के फलते फूलते कारोबार पर काबू पाने में कोई प्रभावी कार्यवाही नही कर प रही है। जिससे वह सीएम योगी का फरमान विफल साबित हो रहा है।

जनपद में सट्टे के कारोबारियों ने इस प्रकार से सभी तहसीलों में अपनी जड़ें फैला रखी है, जिसमें आदमी और महिलाओ के साथ साथ नवयुवक भी अपनी किस्मत आजमा रहे है। इस कारण सेकड़ो परिवार सड़क पर आ गए है। जनपद के साथ सहसवान, बिसौली, ऊझानी, बिल्सी, अलापुर, जरीफनगर, बिनावर, कुँवरगाँव, दातागंज, मूसाझाग, हजरतपुर आदि कोतवाली व थाना क्षेत्रो में शाम होते ही मोबाइल के ज़रिए या खुद जाकर सट्टा लगाने की चहल पहल शुरू हो जाती है। पूर्व की बात करे तो पर्ची देकर सट्टा लिखा जाता था लेकिन अब डिजिटल इंडिया है, अब जो नंबर लगाते है उनके फोन पर ही लिख कर भेज दिया जाता है कि ये-ये नंबर सटोरी के द्वारा लगाए गए है। वही पहले गली ओर दिसावर नाम से दो ही घड़ियां चलती थी लेकिन आज सुबह 5 बजे से लेकर पूरे दिन सट्टा लगता है। अब दर्जन भर से ज्यादा घड़ियों में सट्टा लगाया जाता है। जैसे फरीदाबाद, गाज़ियाबाद, श्री गणेश, दिल्ली बाजार, मटका, श्री लक्ष्मी, मुम्बई, पंजाब किंग, दिल्ली सुपर, आदि घड़ियों में सट्टा लिखा जाता है।

इसी की वजह से लगातार युवाओं के साथ साथ महिलाएं भी अपनी किस्मत एक के नब्बे करने पर आज़मा रही है। जिसकी वजह से सेकड़ो परिवार तबाह हो गए शेष इस कगार पर है। अब देखना यह है कि जिला पुलिस प्रशासन इस अवैध सट्टे के कारोबार पर कितना अंकुश लगा पाता है। पुलिस उच्चाधिकारियों को जनपद में सट्टे के कारोबार को रोकना किसी चुनोती से कम नही है। क्योंकि इसमें कई सफेदपोश लोगो की भूमिका भी संदिग्ध है?

रिपोर्ट – शाजेब खान